नई दिल्ली। जब हिन्दू मंदिरों में साँई की प्रतिमाएं स्थापित कर उन्हें पूजा जा सकता है तो समस्त हिन्दू मंदिरों में काव्य ग्रंथ रामायण के रचयिता महर्शि वाल्मीकि जी की प्रतिमाओं को हिन्दू मंदिरों में स्थापित कर उन्हें पूजने में हमें कोई आपत्ति नहीं है और ऐसा करने से समाज में समरसता बढ़ेगी और हिन्दू समाज और अधिक मजबूत होगा। उपरोक्त विचार यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व वरिश्ठ भाजपा नेता श्री जय भगवान गोयल जी ने महर्शि वाल्मीकि जी की जयंती पर आयोजित षोभा यात्रा के दौरान अपने विचार व्यक्त किए।
महर्शि वाल्मीकी मौहल्ला सुधार समिति, रोहताष नगर, षाहदरा द्वारा आयोजित षोभा यात्रा में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्री गोयल ने कहा कि महर्शि वाल्मीकि जी का हमारे जीवन, संस्कृति व धर्म में अहम योगदान है। उनके द्वारा रचित रामायण हम सनातन धर्मियों का एक ओर जहां पथ प्रदर्षक है वहीं दुसरी ओर आचार, विचार, रिष्ते, धर्म-अधर्म, अच्छे-बुरे का ज्ञान भी कराता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाशा जो आज इस वैज्ञानिक युग में कम्प्यूटर के कई सॉफ्ट वेयरों को ईजाद करने में प्रमुख भूमिका निभा रही है उसके ही जनक महर्शि वाल्मीकि जी को आज हमारा आधुनिकतावादी समाज कुछ अलग ही नजरिये से देख रहा है जो गलत है और महर्शि वाल्मीकि जी का हमारे सनातन धर्म में वहीं स्थान हैं जो अन्य देवी देवताओं का है।
श्री गोयल ने कहा कि जिस प्रकार से हिन्दू मंदिरों में साँई को स्थान दिया गया है तो उसी प्रकार महर्शि वाल्मीकि जी को भी स्थान देते हुए उनकी प्रतिमाओं को भी मंदिरों में स्थापित किया जाना चाहिए।
याद रहें कि महर्शि वाल्मीकि जी की जयंती के मौके पर महर्शि वाल्मीकि मौहल्ला सुधार समिति, रोहताष नगर, षाहदरा द्वारा तीसरी बार भव्य षोभा यात्रा का आयोजन किया गया था, जिसका षुभारम्भ गौरी षंकर मंदिर वेस्ट रोहताष नगर से किया गया और वाल्मीकी मौहल्ला जी.टी.रोड़, लोनी रोड़, दुर्गा पुरी, 100 फुटा रोड़, बाबरपुर टर्मिनल, मौजपूर, हनुमान रोड़ से होते हुए गौरी षंकर मंदिर, वेस्ट रोहताष नगर, षाहदरा दिल्ली में सम्पन्न हुई।
साँई बाबा की तरह महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमाएं भी मंदिरों में स्थापित हों- गोयल
साँई बाबा की तरह महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमाएं भी मंदिरों में स्थापित हों- गोयल